Ethics case studies
प्रश्न 1
एक समर्पित और करुणाशील IAS अधिकारी अनन्या सिंह, वर्तमान में झारखंड के एक मुख्य रूप से जनजाति बहुल और अविकसित ज़िले में ज़िला कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। सरकार ने हाल ही में समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) के तहत एक संशोधित प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और दुग्धपान कराने वाली माताओं के लिये समय पर वित्तीय सहायता सुनिश्चित कर मातृ एवं बाल पोषण में सुधार करना है। इस नई प्रणाली की एक प्रमुख विशेषता यह है कि लाभ वितरण के दौरान आधार के माध्यम से अनिवार्य बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण किया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य लाभ वितरण में गड़बड़ी को रोकना, फर्ज़ी लाभार्थियों को हटाना और उक्त कल्याणकारी योजना की पारदर्शिता व जवाबदेही को बढ़ाना है।
हालाँकि, क्रियान्वयन के कुछ ही सप्ताहों के भीतर, कई ज़मीनी स्तर की समस्याएँ उभरने लगती हैं। कई बुजुर्ग देखभालकर्त्ता, विशेष तौर पर माता-पिता की अनुपस्थिति में बच्चों की देखभाल करने वाली दादी-नानी (उम्र, मेहनत और स्वास्थ्य कारणों से जिनकी उंगलियों के निशान मिट चुके होते हैं) बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण में फिंगरप्रिंट बेमेल की समस्या से जूझती हैं। दूरस्थ जनजातीय क्षेत्रों में, अपर्याप्त इंटरनेट कनेक्टिविटी और कार्यात्मक बायोमेट्रिक उपकरणों की कमी के कारण प्रायः लेन-देन विफल हो जाते हैं। स्थानीय आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं और आशा कार्यकर्त्ताओं ने बताया कि 30% से अधिक पात्र लाभार्थियों को धनराशि नहीं मिली है, जिससे काफी परेशानी हो रही है, विशेषकर सीमांत समुदाय के परिवारों में जो बुनियादी पोषण के लिये इस सहायता पर निर्भर हैं।
कमज़ोर समूहों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चिंतित अनन्या ने सत्यापन के लिये अस्थायी वैकल्पिक तरीकों, जैसे कि भौतिक पहचान जाँच, मोबाइल OTP या मैन्युअल रजिस्टर रखरखाव की अनुमति देने पर विचार किया। हालाँकि, राज्य विभाग ने उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी है तथा सख्त केंद्रीय दिशानिर्देशों का हवाला दिया है, जो बायोमेट्रिक आधारित प्रक्रिया के वैकल्पिक तरीकों को प्रतिबंधित करते हैं। इस बीच, एक प्रतिष्ठित स्थानीय NGO ने विरोध प्रदर्शन आयोजित किया और मीडिया से संपर्क किया, जिसमें प्रशासन पर व्यवस्थित अपवर्जन तथा अनुच्छेद 21 (सम्मान के साथ जीवन का अधिकार) के उल्लंघन का आरोप लगाया गया।
प्रश्न:
- 1. मामले में शामिल मुख्य नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कीजिये।
- 2. अनन्या के पास क्या विकल्प उपलब्ध हैं? उनमें से प्रत्येक का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये और सबसे उपयुक्त कार्यवाही का सुझाव दीजिये।
- 3. यह सुनिश्चित करने के लिये कि शासन में प्रौद्योगिकी के उपयोग से कमज़ोर वर्ग वंचित न रह जाए, सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
उत्तर :
परिचय:
- झारखंड के एक जनजाति बहुल ज़िले में ICDS के तहत DBT योजना को लागू करते समय एक लोक सेवक अनन्या को नैतिक दुविधा का सामना करना पड़ रहा है। आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, हालाँकि पारदर्शिता के लिये है, लेकिन तकनीकी गड़बड़ियों के कारण 30% से अधिक लाभार्थी इससे अपवर्जित रह गए हैं। विरोध प्रदर्शन और अनुच्छेद 21 के उल्लंघन के दावे सामने आए हैं, जबकि अनन्या को जनजातीय परिवारों की तत्काल जरूरतों के साथ सख्त दिशा-निर्देशों को – – – – – – – – – – – – – – – –
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हितधारक |
रुचियाँ/चिंताएँ |
अनन्या सिंह (ज़िला कलेक्टर) |
नैतिक और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना, अपवर्जन को रोकना, नियमों को करुणा के साथ संतुलित करना |
गर्भवती महिलाएँ, दुग्धपान कराने वाली माताएँ, वृद्ध महिलाएँ और जनजातीय समुदाय |
समय पर वित्तीय सहायता, सुलभ प्रक्रिया, बेहतर पोषण और स्वास्थ्य, डिजिटल और सामाजिक समावेशन, स्थानीय वास्तविकताओं के प्रति – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – |
आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता/आशा |
क्षेत्र-स्तर पर कुशल क्रियान्वयन, सामुदायिक विश्वास, तकनीकी बाधाओं में कमी |
राज्य विभाग |
केंद्रीय दिशानिर्देशों का अनुपालन, दुरुपयोग से बचना, डेटा इंटीग्रिटी |
केंद्र सरकार |
पारदर्शिता, लीकेज का उन्मूलन, – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – |
NGO/ सिविल सोसाइटी |
कमज़ोर समूहों की सुरक्षा, समावेशी वितरण, प्रशासनिक जवाबदेही |
न्यायतंत्र |
अनुच्छेद 21 को कायम रखना, कल्याणकारी वितरण में सम्मान और – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – |
मुख्य भाग
(a) मामले में शामिल मुख्य नैतिक मुद्दों का अभिनिर्धारण कीजिये।
- समावेशिता बनाम प्रक्रियागत अनुपालन: अनन्या को प्रक्रियागत अनिवार्यताओं (पारदर्शिता के लिये आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण) का पालन करने और कमज़ोर समूह के लाभार्थियों की समावेशिता एवं गरिमा सुनिश्चित करने के बीच संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है।
- यद्यपि इस प्रणाली का उद्देश्य लीकेज को रोकना है, लेकिन इसकी तकनीकी विफलताएँ असमान रूप से सीमांत समूहों को अपवर्जित कर देती हैं, जिससे पोषण सहायता का मूल उद्देश्य कमज़ोर हो जाता है।
- सख्त अनुपालन से प्रशासनिक निष्ठा की रक्षा हो सकती है लेकिन आवश्यक सहायता से इनकार करने से अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होने का खतरा है तथा नियम-आधारित शासन एवं लोक सेवा के बीच संतुलन को – – – – – – – – – – – – – –
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- पारदर्शिता बनाम विश्वास: यद्यपि बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का उद्देश्य फर्जी लाभार्थियों को हटा कर जवाबदेही सुनिश्चित करना है, लेकिन वास्तविक प्राप्तकर्त्ताओं को धनराशि प्रदान करने में इसकी विफलता सार्वजनिक विश्वास को कमज़ोर करती है।
- यह विरोधाभास कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता के उद्देश्य को ही चुनौती देता है।
- प्रशासनिक स्वायत्तता बनाम पदानुक्रमिक दबाव: राज्य के निर्देश अनन्या के विवेक को प्रतिबंधित करते हैं, जिससे विकेंद्रीकृत शासन कमज़ोर होता है।
- स्थानीय स्तर पर समाधान के अंगीकरण में उनकी असमर्थता, क्षेत्र-स्तरीय नेतृत्व पर भरोसा करने की प्रणालीगत अनिच्छा को दर्शाती है।
- प्रक्रिया बनाम लोक कल्याण: प्रक्रियागत बाधाओं के कारण महत्त्वपूर्ण पोषण सहायता वितरित करने में विलंब सीधे मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाती है। परिणामों पर प्रक्रिया को प्राथमिकता देना कल्याण प्रशासन की – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – –
(b) अनन्या के पास क्या विकल्प उपलब्ध हैं? उनमें से प्रत्येक का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये और सबसे उपयुक्त कार्यवाही का सुझाव दीजिये।
विकल्प 1: केंद्रीय दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करना (केवल बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण) |
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विकल्प 2: बिना अनुमोदन के वैकल्पिक सत्यापन विधियों को लागू करना |
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विकल्प 3: साक्ष्य-आधारित प्रस्तावों के साथ नीतिगत लचीलेपन का समर्थन करना |
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विकल्प 4: तत्काल सुविधा के लिये हितधारकों के साथ सहयोग करना |
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सबसे उपयुक्त कार्यवाही (विकल्प 3 और 4 का संयोजन)
अनन्या को नीतिगत लचीलेपन (विकल्प 3) के साथ तत्काल राहत के लिये हितधारक सहयोग (विकल्प 4) को मिलाकर दोहरी रणनीति अपनाने की आवश्यकता है:
तत्काल कदम: |
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समर्थन और दस्तावेज़ीकरण |
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अनुपालन |
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तर्क: यह दृष्टिकोण प्रक्रियात्मक अनुशासन के साथ सहानुभूति और समावेशिता को संतुलित करता है, प्रणालीगत परिवर्तन की मांग करते हुए तत्काल राहत सुनिश्चित करता है। यह अनन्या को अपने अधिकार का लाभ उठाने में सहायक है, जो हितधारकों को शामिल करता है, गैर-अनुपालन के जोखिमों को कम करता है और नैतिक शासन एवं लोक कल्याण के साथ संरेखित करता है।
(c) यह सुनिश्चित करने के लिये कि शासन में प्रौद्योगिकी के उपयोग से कमज़ोर वर्ग वंचित न रह जाए, सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
समावेशी प्रौद्योगिकी डिज़ाइन: |
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सुदृढ़ डिजिटल बुनियादी अवसंरचना |
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क्षमता निर्माण और सामुदायिक सहभागिता |
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नैतिक और कानूनी सुरक्षा: |
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निष्कर्ष
अनन्या सिंह को तकनीकी दक्षता और मानव-केंद्रित शासन के बीच एक सूक्ष्म संतुलन बनाने की आवश्यकता है। हितधारक सहयोग को साक्ष्य-आधारित समर्थन के साथ जोड़कर, वह समावेशी नीति सुधारों पर जोर देते हुए जनजातीय समुदाय के लाभार्थियों के लिये तत्काल राहत सुनिश्चित कर सकती है। दीर्घकालिक रूप से, सार्वजनिक संस्थानों को संदर्भ-विशिष्ट डिज़ाइन, बुनियादी अवसंरचना के उन्नयन और पारदर्शी निगरानी को प्राथमिकता देनी चाहिये ताकि – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – –
प्रश्न 2
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