A.4. यांत्रिक आविष्कार
वस्त्र उद्योग |
इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति वस्त्र उद्योग से आरंभ हुई थी। 1760 ई. तक इंग्लैंड में वस्त्रों का निर्माण अर्थात् सूत कातना और करघे पर वस्त्र बुनना मध्ययुगीन प्रणाली के अनुसार ही था। 1757 ई. में प्लासी के युद्ध के बाद अंग्रेजों ने बंगाल की जो लूट-खसोट आरंभ की, उसका प्रभाव जल्दी ही लंदन में दिखाई देने लगा क्योंकि औद्योगिक क्रांति 1770 ई. के साथ ही शुरू हुई थी। भारतीय पूँजी के साथ इंग्लैंड को भारत में विशाल बाजार भी प्राप्त मिला। इससे सबसे पहले – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – सबसे पहले 1733 ई. में जॉन कोने ने ‘फ्लाइंग शटल’ का आविष्कार किया जिससे कपड़ा बुनने की गति दुगनी हो गई। 1764 ई. में ब्लेकबर्न के एक लुहार जेम्स हारग्रीब्ज ने ‘स्पनिंग जेनी’ नामक यंत्र बनाया जिसमें एक पहिये को घुमाने से आठ तकुए घूम सकते थे और इस प्रकार बड़ी मात्रा में सूत काता जाने लगा। 1769 ई. में बोल्टन में रिचर्ड आर्कराइट (1732-1792 ई.) ने स्पनिंग जेनी में कुछ सुधार करके ‘वाटरफ्रेम’ का आविष्कार किया। इस मशीन में कई रोलर लगे थे और इसे पानी की शक्ति या घोड़े की शक्ति द्वारा चलाया जाता था। आर्कराइट की मशीन के आने से ही कारखानों का युग आरंभ हुआ, इसलिए उसे ‘कारखाना प्रणाली का जनक’ कहा जाता है। 1779 ई. में सैमुअल क्राम्पटन (1763-1827 ई.) ने स्पनिंग जेनी और वाटरफ्रेम को मिलाकर एक मशीन ‘क्यूल’ या ‘मसलिन ह्वील’ का आविष्कार किया। इस मशीन से बारीक और पक्का धागा तैयार होता था। मशीन से उत्तम मलमल बनाना संभव हुआ। 1784 ई. में एडमंड कार्टराइट ने एक नई मशीन ‘पावरलूम’ (करघा) का आविष्कार किया, जो जल-शक्ति से चलता था। इससे वस्त्रों की बुनाई का कार्य शीघ्रता से होने लगा। 1785 ई. में वस्त्रों पर छपाई के लिए रोलर प्रणाली का आविष्कार हुआ जिससे कपड़ों की प्रिंटिंग का काम अच्छा और तेजी से होने लगा। 1793 ई. में एक अमेरिकन ह्विटने ने एक मशीन का आविष्कार किया जो बिनौले को कपास से अलग करती थी। यह मशीन पचास मजदूरों के बराबर काम अकेले कर सकती थी। 1800 ई. में वस्त्रों को ब्लीचिंग करने की प्रणाली आरंभ हुई। 1825 ई. में रिचर्ड रॉबर्ट्स ने पहली स्वचालित बुनाई मशीन बनाई। इन यांत्रिक मशीनों के कारण इंग्लैंड के वस्त्र उद्योग ने बड़ी आश्चर्यजनक प्रगति की और लंकाशायर कपड़े के व्यवसाय का एक महान केंद्र बन गया। जहाँ 1764 ई. में इंग्लैंड ने केवल चालीस लाख पौंड रुई बाहर से मँगाई थी, वहीं 1841 ई. में – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – |
भाप की शक्ति का आविष्कार |
औद्योगिक क्रांति के सभी परिवर्तन अधूरे रह जाते यदि भाप की शक्ति का आविष्कार नहीं होता। पहले यंत्रों को चलाने के लिए जल-शक्ति और पवन-शक्ति का प्रयोग किया जाता था। किंतु नवीन यंत्रों को संचालित करने के लिए शक्ति के नये स्रोत की आवश्यकता थी ओैर इस क्षेत्र में भाप के इंजन का आविष्कार एक क्रांतिकारी कदम था। यद्यपि 1712 ई. मे न्यूकोमेन (1663-1729 ई.) ने खानों से पानी बाहर निकालने एक वाष्प से चलने वाले इंजन को बनाया था, किंतु यह इंजन भारी-भरकम, महँगा और खर्चीला था। 1769 ई. में जेम्स वाट (1736-1819 ई.) ने न्यूकोमेन के इंजन के दोषों को दूर करके एक नया भाप का इंजन बनाया। उसने 1775 में एक उद्योगपति बौल्टन के साथ मिलकर इंजन बनाने का कारखाना भी खोला 1776 ई. में विलकिंसन ने लोहे के कारखानों की भट्टियों को तेज रखने के लिए इस इंजन का प्रयोग किया। इसके बाद इस इंजन का प्रयोग आटे की चक्की चलाने और सूती कारखानों की मशीनों को चलाने के लिए किया जाने लगा। 1814 ई. में जेम्स वाट के इंजन का सुधरा हुआ रूप छापेखाने की मशीनों को चलाने के लिए काम आने लगा जिससे – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – |
लोहा तथा कोयला उद्योग |
मशीनों को बनाने के लिए लोहे की माँग बढ़ रही थी, लेकिन लोहे को पिघलाने और साफ करने की तकनीक पुरानी, महँगी और कठिन थी। लकड़ी का कोयला, जो लोहा पिघलाने में प्रयोग किया जाता था, भी कम होता जा रहा था। अतः ईंधन के अन्य साधनों की खोज की गई। 1750 के लगभग पत्थर का कोयला प्रकाश में आया और पत्थर के कोयले को प्राप्त करने के लिए खनन-कार्य का विकास हुआ। अब्राहम डर्बी तथा जॉन रोबक ने पत्थर के कोयले से बने कोक से – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – 1760 ई. में जान स्टीमन ने कोक की अग्नि को तेज करने तथा इस तेजी को बनाये रखने के लिए एक पंप का आविष्कार किया जो जल-शक्ति से चलता था। 1784 ई. में हेनरी कार्ट (1740-1800 ई.) ने लोहे को पिघलाकर उसको भाँति-भाँति की आकृतियों में ढालने का तरीका ईजाद किया। 1790 ई. में सीमेन्स मॉर्टिन ने इस्पात बनाने की विधि ज्ञात की। इसी समय हंट्समेन ने स्टील को – – – – – – – – – – – – – – — – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – 1815 ई. में हम्फ्री डेवी ने ‘सेफ्टी लैंप’ का आविष्कार किया, जिससे खानों से कोयला निकालने में सुविधा हुई। बाद में हेनरी बैसमेर (1813-1898 ई.) ने 1856 ई. में शीघ्रता से और सस्ते में इस्पात तैयार करने की तकनीक खोजी। इस प्रकार कोयले और लोहे के युग का आरंभ हुआ जिससे आगे चलकर मानव-जीवन में – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – |
यांत्रिक इंजीनियरिंग |
मशीनों के वृहद् उत्पादन के लिए अच्छे औजारों और यंत्रों की आवश्यकता थी। इसलिए यांत्रिक इंजीनियरिंग में सुधार हुए और यह एक – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – — – – 1800 ई. में हेनरी माउडस्ले ने एक लेथ मशीन ‘स्लाइड-रेस्ट’ का और जॉन विल्किन्सन ने लोहे में छेद करने का यंत्र बनाया। 1816 ई. से 1830 ई. के वर्षों में खराद और प्लेटिंग के मशीनों में भी कई सुधार किये गये। जोशिया बेजवुड ने यांत्रिक उपायों से घर-गृहस्थी के लिए अच्छे चीनी के बर्तनों का – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – |
यातायात, परिवहन और संचार |
कच्चे माल के लाने और तैयार माल को गंतव्य तक पहुँने के लिए यातायात एवं परिवहन के साधनों का विकास हुआ। औद्योगिक क्रांति से पहले इंग्लैंड की सडकों की हालत बहुत बुरी थी, किंतु अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में स्कॉटलैंड के एक इंजीनियर मैकेडम (1756-1836 ई.)ने पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़ों तथा मिट्टी का प्रयोग से मजबूत और उत्तम सडक बनाने का तरीका खोजा। इसके बाद टेलफोर्ड ने तारकोल का प्रयोग करके इसमें सुधार किया और थोड़े ही समय में इंग्लैंड में हजारों मील लंबी मैकैडेमाइज्ड सड़कें तैयार हो गई। इन सड़कों ने देश की आर्थिक संपन्नता को – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – सड़कों द्वारा कोयले और लोहे-जैसी वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में काफी कठिनाइयाँ होती थीं। इस समस्या से निपटने के लिए सबसे पहले डयूक ऑफ ब्रिजवाटर (1736-1803 ई.) ने नहरों को आवागमन का साधन बनाने का प्रयत्न किया और जेम्स ब्रिंडले (1716-1772 ई.) नामक इंजीनियर को नहर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। 1761 ई. में वर्सले से मानचेस्टर तक ‘ब्रिजवाटर’ नहर बनी जिससे माल लाने-ले जाने का खर्चा पहले से आधा रह गया। 1830 ई. तक इंग्लैंड में यातायात के लिए 40 हजार मील लंबी नहरों का निर्माण हो चुका था जिनमें मर्सी और – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – 1807 ई. में एक अमेरिकन रूजवेल्ट ने भाप से चलने वाली नाव (स्टीम बोट) का निर्माण किया। इसके बाद बड़े-बड़े जहाजों का निर्माण किया गया जो वाष्प-शक्ति से चलते थे। किंतु ग्रेट ब्रिटेन में स्टीमबोट का उद्घाटन 1812 ई. में ग्लासगो और ग्रीनॉक के बीच क्लाइड पर धूमकेतु नामक नाव द्वारा किया गया था। 1819 ई. में पहली स्टीमर ‘सवाना’ पाल की मदद से संयुक्त राज्य अमेरिका से अटलांटिक पार किया। प्रारंभिक स्टीमशिप लकड़ी के बने होते थे। 1843 ई. में पहली लोहे की – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – — – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – 1814 में जॉर्ज स्टीफेंसन (1781-1848 ई.) ने ट्रेवेथिक के इंजन में संशोधन करके रेल इंजन का अविष्कार किया, जो भाप की शक्ति से लोहे की पटरियों पर चलकर माल से लदी गाडियों को खींच सकता था। इसलिए स्टीफेंसन को ‘स्टीम लोकोमोटिव का जनक’ कहा जाता है। 1823 ई. में न्यूकैसल में एक लोकोमोटिव कारखाना स्थापित किया गया। 1830 ई. में मेनचेस्टर से लिवरपूल तक पहली रेलवे लाइन बनाई गई। इसके बाद थोड़े ही दिनों में सारे इंग्लैंड में रेल लाइनों का जाल बिछ गया जिससे कोयला, लोहा आदि को एक स्थान से लाने और ले जाने का काम – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – संचार साधन: यातायात के साथ-साथ संचार के साधनों का भी विकास हुआ। 1840 ई. में इंग्लैंड में पेनी पोस्टेज के द्वारा डाक व्यवस्था आरंभ हुई जिससे देश में कहीं भी पत्र भेजा जा सकता था। उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में 1844 ई. में दो अमेरिकी सैमुअल मोर्स (1791-1872 ई.) और अल्फ्रेड वेल के सहयोग से चार्ल्स व्हीट स्टोन ने इलेक्ट्रिक टेलीग्राफ का आविष्कार किया। 1866 ई. में यूरोप और अमेरिका में बीच अटलांटिक महासागर में टेलीग्राफिक केबिल बिछाये गये। 1876 ई. में ग्राहम बेल ने – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – |
अन्य आविष्कार |
औद्योगिक क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों से वैज्ञानिक खोजों को प्रोत्साहन मिला और विज्ञान के हर क्षेत्र में नये-नये प्रयोग होने लगे। माइकल फैराडे (1791-1867 ई.) ने 1831 ई. में इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक इंडक्शन का – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – — – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – 1836 में इंजीनियर जॉन एरिक्सन (1803-1889 ई.) ने मॉनिटर, स्क्रू-प्रोपेलर का निर्माण किया। 1844 ई. में चार्ल्स गुडइयर (1800-1860 ई.) ने रबर वल्केनाइजेशन का आविष्कार किया। इसके अलावा अन्य अनेक वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने अपने आविष्कारों और खेजों से औद्योगिक क्रांति के नवीन क्षेत्रों का विकास किया। इन खोजों के फलस्वरूप ताँबा, सीसा, पारा, अल्यूमीनियम, मैंगनीज, पेट्रोलियम आदि का खनन और उपयोग होने लगा। बिजली के आविष्कार से शक्ति का – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – –– – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – |
A.5. औद्योगिक क्रांति की प्रगति और प्रसार
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